Gurugram News Network – गुरुग्राम की सोसाइटी की हालत इतनी भी जर्जर नही है कि उन्हें तोड़ना हो। इनकी मरम्मत की जा सकती है। सेकेंड्री टेस्ट करके यह देखा जायेगा कि इनकी मरम्मत किस तरह से की जाए। इसके बाद शहर की 50 अन्य सोसाइटी का भी स्ट्रक्चर ऑडिट किया जाएगा। गुरुग्राम में 15 रिहायशी सोसायटियों के स्ट्रक्चरल ऑडिट रिपोर्ट आने के बाद जिला प्रशासन ने उनकी आरडब्ल्यूए, ऑडिट करने वाली फर्म तथा बिल्डर के प्रतिनिधियों की एक संयुक्त बैठक बुलाई जिसमें ऑडिट रिपार्ट संबंधित फर्मों द्वारा सभी के साथ सांझा की गई। इन 15 सोसायटियों में स्ट्रक्चरल ऑडिट का अध्ययन 4 सूचीबद्ध फर्मो द्वारा किया गया था।
रेपिड विच्युअल इंस्पेक्शन स्टडी करने वाली फर्मों ने बताया कि ज्यादात्तर सोसायटियों में बेसमेंट में कुछ कमियां देखी गई हैं और प्लास्टर गिरने या पानी की लीकेज की शिकायतें मिली हैं। उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने बताया कि हालांकि बहुत गंभीर स्ट्रक्चरल विषय नहीं मिले हैं कि जहां पर बिल्डिंग को खतरा हो या निवासियों के लिए असुरक्षित हो, लेकिन ज्यादात्तर सोसाटियों में कमियां मिली हैं जिसमें या तो प्लास्टर गिर रहा है या बालकनी में कमियां हैं या बेसमेंट में पानी का भराव हो रहा है। इसके लिए सेकेण्डरी टेस्ट करवाने की सिफारिश आई हैं, जोकि हम कुछ दिनों में शुरू करवा देंगे। उसके आधार पर उन फर्मों से सिफारिश आएंगी कि आगे क्या कार्यवाही की जानी है और किस प्रकार की मरम्मत व रख-रखाव का कार्य किया जाना है। उपायुक्त ने कहा कि प्रशासन का प्रयास रहेगा कि आने वाले 2 से 3 महीनों में ये सारे काम करवाकर इन सोसाटियों में ऑडिट सर्वे का कार्य पूरा कर लिया जाए।
उपायुक्त ने बताया कि पहले चरण में गुरुग्राम की 15 रिहायशी सोसायटियों की स्ट्रक्चरल ऑडिट करवाई गई है और लगभग 50 सोसायटियां और हैं जिनकी शिकायतें मिली हैं, उनका ऑडिट दूसरे चरण में करवाया जाएगा। उन्होंने बताया कि अब तक ऑडिट फर्मों से जो रिपोर्ट मिली है, उसमें ऐसी कोई कमी नहीं पाई गई है जिसकी मरम्मत न करवाई जा सकती हो। सभी सोसायटियों में जो दिक्कत या कमियां पाई गई हैं, वो मरम्मत से ठीक हो सकती हैं। अब वो किस प्रकार से मरम्मत होनी है, क्या मरम्मत का मैकेनिजम होगा, वो नॉन डिस्ट्रेक्टिव टेस्ट अर्थात् सेकेण्डरी टेस्ट के बाद ऑडिट फर्मों द्वारा बताया जाएगा। उसके बाद इन सोसायटियों की मरम्मत व रख-रखाव करवाया जाएगा।
उपायुक्त ने कहा कि चिंटल पैराडिसो सोसायटी में गत फरवरी में हुए हादसे के बाद जिला प्रशासन का प्रयास है कि लोगों के लिए असुरक्षित बिल्डिंग को हम पहचान पाएं और अगर जरूरत पड़ी तो उसकी मरम्मत करें और यदि मरम्मत करने लायक ना हो तो उसे खाली करवाएं। इस स्ट्रक्चरल ऑडिट का उद्देश्य भी यही है।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए उपायुक्त ने कहा कि स्ट्रक्चरल ऑडिट की रिपोर्ट डीटीपी के माध्यम से सभी 15 सोसायटियों की आरडब्ल्यूए के साथ सांझा की जाएगी। उसे देखने के बाद कोई पहलू या बिंदु अनछूआ रह गया है तो आरडब्ल्यूए उस बिंदु को उठा सकती हैं, जिस पर संबंधित फर्म जवाब देगी और यदि आवश्यक हुआ तो वह फर्म उस पहलु का अध्ययन करने के लिए दोबारा सोसायटी में जाएगी।बैठक में उपायुक्त के साथ अतिरिक्त उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा, डीटीपी एन्फोर्समेंट अमित मघोलिया, लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता प्रवीन चौधरी भी उपस्थित थे।